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ईश्वर की मर्जी: एक प्रेरणादायक कहानी- एक छोटे से कस्बे में आर्यन नाम का एक होशियार और समझदार बच्चा अपनी मां के साथ बाजार गया। दोनों एक मिठाई की दुकान पर गए। दुकान पर मिठाइयों के साथ-साथ रंग-बिरंगी टॉफियां भी सजी हुई थीं। दुकान के मालिक ने जब आर्यन की मासूमियत देखी तो मुस्कुराते हुए बोला, "बेटा, ये टॉफियों का डिब्बा खोल रहा हूं। जितनी टॉफियां तुम्हारे हाथ में आएं, ले लो।"
आर्यन ने डिब्बे को देखा, फिर मालिक की ओर मुस्कराते हुए बोला, "अंकल, आप खुद ही मुझे टॉफियां दे दीजिए।" यह सुनकर दुकान के मालिक और उसकी मां हैरान रह गए। दुकान के मालिक ने पूछा, "बेटा, क्यों? अपने हाथ से क्यों नहीं ले रहे?"
आर्यन ने हंसते हुए कहा, "अंकल, आपके हाथ बड़े हैं। आप ज्यादा टॉफियां दे पाएंगे। मेरे छोटे-छोटे हाथ तो बहुत कम टॉफियां ले पाएंगे।"
दुकानदार और उसकी मां यह सुनकर हंस पड़े। मालिक ने डिब्बे से अपने हाथों से ढेर सारी टॉफियां निकालीं और आर्यन की झोली में डाल दी। रास्ते में, आर्यन की मां ने उससे पूछा, "बेटा, जब अंकल ने तुम्हें खुद लेने को कहा था, तब तुमने मना क्यों कर दिया?"
आर्यन ने अपनी मासूमियत भरी आवाज में कहा, "मां, अगर मैं टॉफियां लेता, तो केवल दो-तीन टॉफियां ही आतीं। लेकिन अंकल ने अपने बड़े हाथों से ढेर सारी टॉफियां दीं। यही तो ईश्वर की मर्जी है, मां। जब हम अपने छोटे हाथों से कुछ मांगते हैं, तो हमें उतना ही मिलता है। लेकिन जब ईश्वर अपनी मर्जी से हमें देता है, तो हमें बहुत ज्यादा मिलता है।"
यह सुनकर उसकी मां की आंखों में गर्व और खुशी के आंसू आ गए। उसने आर्यन को गले लगाते हुए कहा, "बेटा, तुमने मुझे आज एक बड़ी सीख दी। सच में, हमें हमेशा ईश्वर की मर्जी पर विश्वास रखना चाहिए।"
सीख:
यह कहानी हमें सिखाती है कि ईश्वर हमें हमेशा हमारी सोच से ज्यादा और बेहतर देते हैं। हमें उनकी मर्जी पर विश्वास करना चाहिए और उनके द्वारा दिए गए हर उपहार को खुशी-खुशी स्वीकार करना चाहिए। जब हम धैर्य और विश्वास रखते हैं, तो ईश्वर हमें हमारी उम्मीदों से कहीं अधिक खुशी और सुख प्रदान करते हैं।
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